
क्या एक सेक्युलर देश में एक धर्म का राष्ट्रवाद दुसरे धर्म के राष्ट्रवाद से छोटा हो सकता है अगर आपका जवाब हाँ है तो वो तराज़ू हमें भी दिखाइये जिससे आप रास्त्र्वाद के वजन को तौलते हैं
“इस देश में रहना है तो राम राम कहना है”, “हिन्दू राष्ट्र कि संकल्पना करना”, “इस देश के नागरिक को सिर्फ उसकी विशेष धार्मिक पहचान के लिए पाकिस्तानी या आतंकवादी कहना” अगर ये सब आपकी राष्ट्रभक्ति के पैमाने हैं तो आप भारतीय नहीं है सिर्फ धार्मिक दंगाई हैं.
जो कासगंज में हुआ वो बहुत दर्दनाक था. हमें नहीं पता कि गलती किस धार्मिक समुदाय कि है क्योंकि लोग तो दोनों तरह ही हथियार उठाये हुए हैं गाड़ियों को आग लगा रहे हैं एक दुसरे को मार रहें हैं ,लेकिन हम इतना तो जानते हैं कि बेहतर कानून व्यवस्था सब सुधार सकती थी
गणतंत्र कि स्थापना दिवस पर पर जब देश संविधान के आधारों को भी भुला दे तो हमें ये बात समझनी होगी कि आखिर कमी कहाँ रह गयी है
आज कासगंज को मुजफ्फरनगर में तब्दील करने कि साजिश की जा रही है और उसका शिकार अगर कोई है तो बस कासगंज की मासूम जनता क्योंकि जो बाहुबली है वो तो बस मार काट में मशगूल है
कोई राष्ट्रवाद कैसे धार्मिक हो सकता है ? या फिर किसी राष्ट्रवाद का क्या कोई धर्म हो सकता है ?
ये तमाम सवाल फिर खड़े हो जाते हैं तिरंगा यात्रा में भगवा क्यों दिखाई देता है क्यों 26 जनवरी को जय श्री राम जय हिन्द पर हावी हो जाता है ?
उत्तर प्रदेश के कासगंज ज़िले में गणतंत्र दिवस के दिन विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं द्वारा मोटरसाइकिल से निकाली गई तिरंगा यात्रा पर पथराव से तनाव व्याप्त हो गया. इसके बाद हुई आगजनी और फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई तथा कई अन्य घायल हो गए.
मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, विहिप और एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने 26 जनवरी को मोटरसाइकिल से तिरंगा यात्रा निकाली थी. इसी दौरान मुस्लिम बाहुल्य इलाके में विवाद हो गया, जिसने तुरंत ही सांप्रदायिक रंग ले लिया. इस सांप्रदायिक हिंसा में फायरिंग के दौरान 22 वर्षीय युवक चंदन गुप्ता की मौत हो गई.
2019 के चुनाव से पहले ही राजनीति को धार्मिक रंग दे दिया गया है.
राघव त्रिवेदी
पत्रकार, नेशनल दस्तक