भारत एक हिन्दू बहुल समाज का देश है। यही कारण कि यहाँ पर आपको कदम-कदम पर मंदिर और पूजा स्थल मिल जाएंगे। लेकिन इन सबके बावजूद खुराफाती तत्व अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे हैं। ताज़ा मामला राजधानी दिल्ली का है जहां एक प्राचीन मकबरे को हिन्दू मंदिर में तब्दील कर दिया गया है। यूं तो शायद ही किसी को मंदिर निर्माण से आपत्ति होती मगर दुखद बात ये है कि ये मंदिर किसी की क़ब्र पर स्थित है और इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट अँड कल्चर हेरिटेज (INTACH) द्वारा जीर्णोद्धार का इंतज़ार कर रहा था।
क़ब्र पर बन गया मंदिर
दिल्ली के सफदरजंग इलाक़े में स्थित हुमायूँपुर गाँव में एक ‘गुमटी’ नाम का मकबरा था। ये मकबरा रिहायशी इलाक़े में पार्कों के बीच में स्थित था। एएसआई के सूत्रों के मुताबिक ये तुगलक के शासनकाल के वक़्त का मकबरा है। मार्च के महीने में इस मकबरे को सफ़ेद और भगवा रंग से पोत कर अंदर मूर्तियाँ रख दी गयी हैं। अब ये ‘गुमटी’ नाम का मकबरा नही बल्कि ‘शिव भोला मंदिर’ हो गया है। मंदिर के पास दो बेंच भी लगाई गयी हैं जिनहे भगवा रंग में रंगा गया है और उनपर स्थानीय भाजपा पार्षद राधिका अबरोल फोगाट का नाम लिखा हुआ है।
इस मामले पर इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए राधिका ने कहा “मेरी जानकारी में आए बिना इसे मंदिर में तब्दील कर दिया गया है। इसमे मेरी रज़ामंदी या समर्थन नहीं था। पिछले भाजपा पार्षद कि मिली भगत से ऐसा किया गया है। मैंने भी विरोध किया था लेकिन ये संवेदनशील मामला है। देश में इस वक़्त जो कुछ चल रहा है, कोई किसी मंदिर को छू भी नही सकता। पार्क में मेरे नाम का बेंच को शुरुआत से ही लगा हुआ है।“
स्मारक का दर्जा प्राप्त
उल्लेखनीय है कि इस मकबरे को राज्य सरकार ने स्मारक का दर्जा दिया है। जानकारी के मुताबिक साल 2010 में राज्य सरकार की ओर से जारी लिस्ट मे इस गुमटी को दिल्ली की 767 हेरिटेज साइट में शामिल किया गया था। इस बात की पुख्ता जानकारी नही है कि गुमटी के अंदर बने मकबरे में कौन दफ्न है और इसका निर्माण किसने करवाया। इसकी बनावट को देखकर अंदाज़ा लगाया जाता है कि ये तुग़लक काल के अंतिम समय या लोधीकाल के शुरुआती शासन में बनी है।
क्या कहता है कानून
यूं बिना किसी अधिकारी को जानकारी दिये बिना या पर्मिशन लिए बिना इसका नवीनीकरण करके पुरातत्व विभाग के ‘सिटिज़न चार्टर’ का उल्लंघन किया आया है। इसके नियमों के मुताबिक कीसी भी स्मारक के अंदर या बाहर, उसकी दीवारों को पैंट या व्हाइटवश नही किया जा सकता। इस नियम में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि ऐतिहासिक महत्व वाले किसी भी स्मारक की मौलिकता को नुकसान नही पहुंचाया जाना चाहिए।
सरकारी विभाग का रुख
अब तक दिल्ली के पुरातत्व विभाग ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नही की है। जानकारी के मुताबिक INTACH ने पिछली साल ही इस मकबरे के जीर्णोद्धार की योजना बनाई थी। उन्हे दिल्ली चैप्टर के पुरातत्व विभाग के साथ मिलकर इसकी खस्ता हालत को सुधारने और दुरुस्त करने का काम करना था। INTACH दिल्ली के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अजय कुमार ने बताया कि ”इस स्मारक पर ताला लगा था। हम स्थानीय लोगों के विरोध की वजह से अपना काम नही कर पाये। हम पुलिस के पास भी गए लेकिन बात नहीं बनी। अब ये मंदिर बन गया है और हमने एक बहुमूल्य स्मारक को खो दिया है।“
दूसरी तरफ INTACH दिल्ली चैप्टर की कन्वीनर स्वपना निडाल ने इस मामले पर नाराजगी ज़ाहिर की है। उन्होने कहा ‘एक स्मारक को धार्मिक प्रतिष्ठानमें बदलना ज़मीन कब्ज़ाने का मामला है। ये सबसे आसान तरीका है, किसी भी स्मारक को मंदिर या मज़ार में बदल दो। एचएम स्मारक के रखवाले नाही हैं, एचएम बस इनकी मरम्मत करते हैं। इसकी हिफाजत राज्य सरकार को करनी चाहिए और उसके बाद हमे सौंपना चाहिये।
वहीं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने इस मामले में अनभिज्ञता ज़ाहिर की है। उन्होने कहा- मुझे इस बारे में कोई जानकारी नही है। मैंने संबन्धित विभाग को कहा है कि जांच करके रिपोर्ट भेजें।
ख़ैर इसकी गुमटी का भविष्य और वर्तमान कुछ भी हो, हम तो यही उम्मीद करेंगे कि सरकार और प्रशासन इस मामले में सख्त से सख्त कार्यवाही करे ताकि देश की दूसरी धरोहरों के साथ कोई खिलवाड़ न हो। वहीं अभी लाल क़िले को गोद देने का मामला शांत भी नही हुआ है कहीं इस मामले ने तूल पकड़ लिया तो गंभीर हालात पैदा हो सकते हैं।
महविश रज़वी